Vyankatmakhi ke 72 that and katpayadi

Vyankatmakhi ke 72 tha and katpayadi. 



पूर्वाग के प्रथम अर्धमेल के साथ उत्तरांग के सभी छहों अर्धमेलों को बारी-बारी मिलाने पर छह पूर्णमेल तैयार होंगे। इसी प्रकार पूर्वांग के दूसरे अर्धमेल के साथ उत्तरांग के छहों अर्धमेलों को बारी-बारी जोड़ने से नवीन छह मेल बनेंगे, ठीक इसी प्रकार क्रमशः तीसरे, चौथे आदि के प्रत्येक पूर्वांग के साथ उत्तरांग के अर्धमेलों को जोड़ने से (6 x 6 = ) 36 पूर्णमेल तैयार हो जाएँगे। इन सभी मेलों में 'शुद्ध-मध्यम' है, अब यदि 'शुद्ध-मध्यम' के स्थान पर 'तीव्र-मध्यम' कर दिया जाए तो पुनः 36 और नवीन मेल तैयार हो जाएँगे। अतः इस प्रकार कुल (36+36) 72 मेल बनाने की विधि व्यंकटमखी ने दी है।

हिन्दुस्तानी संगीत की दृष्टि से दक्षिणी संगीत में पूर्वाग के प्रथम क्रम में गंधार नहीं है और छठे क्रम में नहीं है। इसी प्रकार उत्तरांग के प्रथम क्रम में निषाद नहीं है और छठे क्रम में चैवत नहीं है। इस शंका का समाधान यह है कि पं० व्यंकटमखी के 12 स्वर हमारे 12 स्वरों के समान नहीं थे। व्यंकटमखी ने थाट को सम्पूर्ण करने हेतु कुछ स्वरों के काल्पनिक नाम दिए थे जो इस प्रकार हैं। 














कटपयादि। 



प्रत्येक मेल के आरम्भिक दो अक्षरों से मेल की संख्या ज्ञात की जाती है, जैसे- मायामालवगौड़ के आरम्भ में म और य है, प से गिनने पर म5 जिसे इकाई में लगायेंगे, य से गिनने पर य = 1 जिसे दहाई में लगायेंगे क्योंकि “अंकानाम् वामतो गतिः कही गयी है, अतः मायामालवगौड़ की मेल संख्या 15 हुई। इसी प्रकार मेचकल्याणी की संख्या 65, हनुमत्तोड़ी की 8, और कनकोंगी की एक मेल क्रम संख्या है।












पूर्वाग के प्रथम मेल के साथ उत्तरांग के छहों अर्थ मेलों को बारी-बारी जोड़ने से 6 मेल बनेंगे। इसी प्रकार पूर्वाग के दूसरे अर्थ मेल के साथ उत्तरांग के छहों अर्थ मेल जोड़ने से भी 6 और मेल बनेंगे अतः सभी पूर्वाग अर्द्धमेलों से 16X6=36 मेल बनेंगे। इन 36 मलों में शुद्ध मध्यम के स्थान पर तीव्र मध्यम का प्रयोग 7 करने से 36 और मेल प्राप्त होंगे जिनकी क्रम संख्या 37 से 72 तक की है।

शुभपन्तुवराली की मेल संख्या (श = 5 भ = 4 ) 45 है इसमें से 36 घटाने पर शेष 9 बचा इसे 6 से भाग देने पर ज्ञात हुआ कि इसका उत्तर दूसरे वर्ग सा रे ग म में है 9 में से 6 घटाने पर शेष तीन बचा, जो कि उत्तरांग के तीसरे क्रम प ध नि सां का है इस प्रकार कोमल एवं ( 45 में से 36 घटाने के कारण) म तीव्र शुभपंतुवराली के स्वर हुए, जो कि हिन्दुस्तानी तोड़ी के समान हैं।


For Hindustani classical music online class contact us phone number- 8081766041

Post a Comment

0 Comments